short hindi stories for kids
एक जंगल में खूब बड़ा पेड़ था जिसपर खूब फल फुल लगते थे और छाया भी घनी थी। उस पर बहूत से पक्षी घोसला बनाकर रहते थे। उसके मीठे फलों को खाकर जीवन बिताते और उसकी ठंडी छाया में आनन्द से इस "प्रकार रहते हुए उन पक्षियों का उस पेड़ से अत्यधिक लगाव हो गया। पेड़ क्या था, सैकडों पक्षियों का बसेरा था, जो पक्षियों का एक गाँव सा लगता था। सुबह शाम वह पक्षियों के कलरव से मधुर संगीत से गूंज उठता। इस प्रकार 'पक्षीगण बडे आनन्द से अपना समय बिता रहे थे।
एक बार जंगल में भयंकर आग लग गयी। आग तूफान की तरह फैलने लगी। "जंगल के सभी जानवर, पक्षी मनुष्य सुरक्षित स्थान की खोज में भागने लगे। शिकारी शिकार का विचार छोड़ वापिस लौट गए' आग की लपटे तेजी से फैलकर सभी को अपनी लपेट में ले रही थी। एक शिकारी ने देखा की एक विशालकाय पेड़ को आग की लपटें पकड़ने लगी है और उस पर बैठे पक्षी उड़ नहीं रहे हैँ, अपितु ज्यों के त्यों स्थिरभाव से बैठे हैं। शिकारी ने उन्हें चेताते हुए कहा-
आग लगी इस वृक्ष को जलन लगे हैं पात
उड़ जाओ रे पक्षियों, जब पंख तुम्हारे साथा।
यह सुनकर पक्षी उडे नहीं अपितु उन्होंने बड़े द्रिड भाव से शिकारी को यह उत्तर दिया-
फल खाय इस वृक्ष के गन्दे किन्हें पात
घर्म हमारा अब यही जलें इसी के साथा।
पक्षियों का यह उतर सुनकर शिकारी निरुतर हो गया। थोड़ी ही देर में अपने पेड़रूपी देश के साथ सभी पक्षी बलिदान हो गए।
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शिक्षा -hindi kahaniyaपक्षीयों के इस संवाद में कवी ने देशवासियों को देश प्रेम की शिक्षा दी है। देश के उपर आप्पति आने पर हमे देश को छोड़ कर भागना नही चाहिय। अपितु उसकी रक्षा के लिय जी जान की बाजी लगा देनी चाहिय। जिस मात्र भूमि की गोद में हम पले हैं उसके उपकारों को भूलना नही चाहिय। एसे ही बलिदानियों के कारण हमारा देश आजाद हो सका है। भगोड़ों से देश गुलाम बनजाता है।
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