FAITH/ श्रद्धा
श्रद्धा किंसे कहते हैं। श्रद्धा (श्रत+धा) सच्चाई के धारण करने का नाम है। सच्चाई का ज्ञान तर्क से हुआ करता है ओर ज्ञान होने पर उसे हृदय में धारण कर लेना, श्रद्धा कहलाता है। ह्रदय में धारण कर लेने का अभिप्राय यह है कि मनुष्य उसके विपरीत आचरण न कर सके श्रद्धा रखते हुए सबसे पहले यमों के हृदय में धारण करंने का,
अभ्यास करना चाहिये अभ्यास किस प्रकार हो ? यमों में से एक अहिंसा को लेकर, वह प्रकार बतलाया जाता है…
- सबसे पहलें अहिंसा के ग्रहण ओर धारण करने की प्रबल इच्छा मनुष्य के ह्रदय में होनी चाहिये।
- उसे ऐसे 'ग्रन्थ' का अधयन करते रहना चाहिय जिसमें अहिंसा की श्रेष्ठता बतलाते हुए, हिंसा के दोष दिखलाये गये हों।
- अभ्यासी जंहा रहता हो वंहा मोटे अक्षरों में "में आज हिंसा नही करूंगा" एसा या और दुसरे अक्सर लिख कर अपने कमरे में चारों तरफ टांग देने चाहिय। जिससे बिना इच्छा के अनायास, अभ्यासी की दृष्टि, उस पर पडती रहे।
- प्रात: काल उठते ही, बिस्तर छोड़ने से पहले, उसे अहिंसा पालन रूप व्रत को धारण करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिये कि उसका प्रयत्न सफल हो। उसे उच्च स्वर से तीन वार यह उच्चारण करना चाहिये कि "मैंने 'अहिंसा पालने का व्रत लिया है, मैं कदापि कोई ॰कार्य इस व्रत के विपरीत न करू'गा ।" ओर समयों में भी इस व्रत का स्मरण करते रहने चाहिये।
- रात्रि में सोते समय फिर उपयुक्त वाक्य को उसके एक-एक शब्दको, भली प्रकार ध्यान में रखते हुए, उच्च स्वर से, उच्चारण करके, ईश्वर से उसकी पूर्ति की प्रार्थना करते हुए, सो जाना चाहिये, इस प्रकार किं सोते समय के अन्तिम विचार, यही हों।
कम से कम एक मास तक इस क्रिया को इसी प्रकार का'म में लाना चाहिये। इसके बाद अहिंसा के साथ सत्य को शामिल करके पूरे दूसरे मास में अहिंसा ओर सत्य दोनों के, सम्मिलित व्रत के ग्रहण करने की चेष्टा करंनी चाहिए। जो अहिंसापरक वाक्य कमरे में चारों ओर लगाये गये थे अब उसके स्थान मे यमपरक पूरे सूत्र को जिसमें पांचों यमों का वर्णन है' लगा लेना चाहिये । इस बात का पूरा-पूरां ध्यान रखना चाहिये कि कोई काम व्रत के विपरीत न हो । यदि कभी भूल से विपरित कार्य हो जाय तो उसका उसी दिन प्रायश्चित कर देना चाहिये। दो मास बीतने पऱ अब पांचों यमों को अपने व्रत में सम्मिलित करके उन सब का उपर्युक्त भांति अभ्यास करे यह (सम्पूर्ण) तीसरे मास तक जारी रखना चाहिये यह यमों का प्राररिभक अभ्यास है।