Motivational story in hindi
सेठजी का इकलौता पुत्र था। लेकिन वह माहाआलसी , कामचोर और निखट्टू भी था। सेठजी के लाख समझाने पर भी वह काम न करता था। सेठजी को अपने कारोबार को देख चिन्ता होती रहती की इसको यह कैसे सम्भाल पाएगा। आखिरकार सेठजी के मन में एक ideaआया।
सेठजी ने अपने लड़के को कहा, "बेटे आज अपनी मेहनत का कुछ कमाकर लाओ तभी भोजन मिलेगा, अन्यथा नहीं। सेठजी ने लडके को सुधारने का अच्छा तरीका ढूंडा था। लड़का सेठजी की बात सुन कर परेशान हो गया और सोचने लगा कि अब क्या किया जाए? वह सीधे अपनी माताजी ’के पास गया गिड़गिड़ाने लगा कि मुझे एक रुपया चाहिए। माताजी ने उसे एक रुपया दे दिया। शाम को जब सेठजी ने आज की Income मांगी तो लडके ने एक रुपया उसके हाथ पर रख दिया। पुराने जमाने में एक रुपए की भी बहुत कीमत होती थी। लेकिन सेठजी
की नजर लडके के कार्य पर थी कि वह क्या करता है। वह सब जान गए। सेठजी ने आदेश दिया जा अब इसे कुए में डाल दे लंड़का दौड़कर गया और रुपया कूँए में फेक दिया। लड़के ने सोचा की बला टल गई।
सेठजी ने दूसरे दिन फिर लडके को बुलाया और कहा आज फिर अपनी मेहनत का कुछ कमाकर लाओ, तभी आपको भोजन मिलेगा। " लडके ने सोचा आज फिर वही मुसीबता उसका स्वभाव था कामचोर, आलसी, कार्य वह करना नहीं चाहता था। आज़ वह बड़ी बहन के सामने जाकर एक रुपये के लिए रोने… धोने लगा। बहन को भाई पर दया आईं और एक रुपया उसे दे दिया। लड़के की परेशानी दूर हो गयी। शाम को सेठजी ने उसकी कमाई मांगी। उसने आज फिर उसे एक रुपया थमा दिया दिया। सेठजी बुद्धिमान् थे, वह जानते थे कि यह रुपया कहाँ से लाया है। क्योंकि कल मां से रुपया लाए जाने पर सेठजी ने उसकी माँ को मायके भेज दिया था। अब वह बहन से लाया है।
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सेठजी ने आदेश दिया जाओ इसे भी उसी कूँए में डाल आ'ओँ। लडका तेजी से गया और रुपया डाल आया। तत्पश्चात उसे भोजन मिला। लेकिन सेठजी ने अपनी बेटी को उसकी ससुराल भेज दिया। तीसरे दिन सेठजी ने फिर लडके को बुलाया और कहा आज फिर अपनी मेहनत का कुछ कमा कर लाओ। " लड़का आज बहुत परेशान था। क्योकि आज उसे रुपया देनेवाली उसकी माँ, बहन घर पर न थी। आज़ उसकी कौन सुनता। उसके पडौसी सभी जानते थे वह निखटू है। जब रुपया मिलने की कोई उम्मीद नहीं रही तो वह चला बाजार में काम दूँढने। बडी मुश्किल से एक काम मिला।
लालाजी ने दिनभर भी कार्य करने के बाद एक चवन्नी देने को कहा। लड़के ने इसे स्वीकार किया दिन भर वह बोरियाँ ढोता रहा। उसकी कमर लचक गई। सीधी भी न कर सकता था। पहली बार मेहनत करने के कारण वह थक कर चूर हो चुका था। चलने की शक्ति भी उसमें अब न रही।
कठिन व कठोर मेहनत के बाद वह चवन्नी लेकर घर पहुँचा। सेठजी ने देखा कि लडके का चेहरा कुछ और ही बता रहा था। उसने आज की मेहनत की कमाई मांगी। लड़के ने हाथ पर एक चवन्नी रख दी। सेठजी समझदार थे तुरन्त बोले "जाओ इसे भी कूँए में डाल दो।" यह सुनते ही लड़के की आँखे क्रोध से लाल हो गई और बोले, "मैरी दिन भर कमर लचकी रही, चलने की भी शक्ति न रही श्री, कितनी कठिन परिश्रम करने के बाद मैं यह चवन्नी लाया हूँ। आप कह रहे हैं कि इसे कूँए में डाल दो।"
सेठजी ने कहा, "कल तो एक रुपया कूँए में डाला था, आज तो केवल एक चवन्नी है लडका बोला "पिताजी, यह चवन्नी एक रुपए से कहीं ज्यादा कीमती है क्योंकि मैंने यह 'जान लिया कि बिना मेहनत की कमाई ‘के एक रुपए के फैकने से मुझें कोई कष्ट न हुआ जबकि चवन्नी के डालने में कष्ट अनुभव कर रहा हू।
सेठजी ने लड़के की कमर थपथपाई। उसे अपने गले से लगा लिया और अपनी दूकान का कारोबार उसे सौंप दिया और कहा, " आज तुमने परिश्रम के फल को जान लिया जो मीठा होता है। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। अब तुम यह कार्य कर सकोगे। बस, यही शिक्षा मैं तुम्हे देना चाहता था।
शिक्षा - ये hindi storyपढ़ कर हमे शिक्षा मिलती है की मनुष्य को सफलता दिलाने वाला उपाय पुरुषार्थ हैं। जो मनुष्य पुरुषार्थ नही करता, वह पिछड जाता है। निठल्ले व्यक्ति का जीवन व्यर्थ होता है।