अधिक एक्यूप्रेशर दबाब देने के लिए एक अंगूठे पर दूसरा अंगूठा रख के प्रेशर देना चाहिए
कुछ केन्द्रों, विशेषकर पीठ पर दोनों अंगूठों के साथ Acupressure प्रेशर दें जेसे आकृति 6 में दिखाया गया हे, कुछ केन्द्रों जेसे पेट पर हाथ की 3 अँगुलियों के साथ प्रेशर दें जेसे आकृति 7 में दिखाया गया हे
आकृति 8
पैरों तथा हाथों में सारे प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर बिना किसी व्यक्ति की सहयता के आसानी से प्रेशर दिया जा सकता है । प्रेशर कुर्सी, चारपाई, या भूमि पर बैठकर जैसा भी सुविधाजनक प्रतीत हो, दे सकते हैं । पैरों में विभिन्न प्रतिबिम्ब केद्रों पर प्रेशर देने का एक आसान ढंग उपरोक्त आकृति में दर्शाया गया है
जीवन शक्ति
मनुष्य का शरीर एक अदभुत मशीन ही नही एक अनुपम शक्ति का विशाल भंडार हे । यह शक्ति प्रतिदिन, प्रतिक्षण उपयोग होती है, नष्ट होती है और शरीर से बाहर भी निकलती हे । इस लीकेज के कारण मनुष्य बीमार भी जल्दीपड़ता है तथा बुढापा भी जल्दी आता है इस लीकेज को रोकने का शरीर में एक ही केंद्र है – दांयी बाजू पर कलाई एंव कुहनी के मध्ये भाग में(आकृति 9 ) लगभग एक इंच का क्षेत्र । इस केंद्र पर प्रतिदिन सवेरे एक मिनट तक अँगूठे से प्रेशर देने से अपनी जीवन शक्ति को काफी लम्बे समय तक बचाकर रख सको है
प्रेशर देने का ढंग
प्रेशर देने का ढंग सबसे अधिक महत्व रखता है क्योंकि गलत ढंग से प्रेशर देने से वाँछित आराम नहीं होता । चीनी (Physicians) चिकित्सकों ने प्रेशर देने का उत्तम ढंग हाथ के अँगूठे, हाथ की तीसरी अंगुली, एक अंगुली पर दूसरी अंगुली रखकर, हाथ की मध्य की तीन अँगुलियों के साथ तथा हथेली के साथ बताया है जैसाकि आकृति नं० 1, 2, 3, 5, 6 तथा 7 में दर्शाया गया है । अंगूठा या अंगुली बिल्कुल सीधी खड़ी करके प्रेशर नहीं देना चाहिए (जेसे आकृति 4) क्योंकि इससे दबाव ठीक नहीं पढ़ता तथा प्रेशर देने वाली अँगुली मी शीघ्र थक जाती है। प्रेशर देने के प्रति महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अँगूठा या अँगुली एक ही स्थान पर टिकाकर अगर दबाव घड़ी की सूई की तरह गोल परिधि (circular motion in clockwise direction) में बाएँ से दाई तरफ दिया जाये तो उसका अधिक असर होता है I वेसे साधारण विधि से भी अँगूठे या उपकरण से प्रेशर दिया जा सकता हे। दोनों तरीके ठीक है । पेरों तथा हाथों के ऊपरी भाग, पेरों तथा हाथों की अँगुलियों, टाँगों के निचले भाग, टखनों तथा एडीयों के साथ-साथ, कानों तथा बाजुओं के अग्रिम भाग पर तेल आदि लगाकर मालिश की भांति भी (pressure) प्रेशर दिया जा सकता है। पीठ पर उपकरणों से नहीं अपितु अंगूठों या हथेलियों से हीं प्रेशर देना चाहिए।
प्रेशर देते समय इतना ध्यान रखे कि उसका प्रभाव चमडी की ऊपरी सतह से नोचे तक पहुच जाये। इस बारे में एक तर्कसंगत कथन है कि जब शरीर के अंदर कोई विकार आता है तो उसका प्रभाव चमडी की ऊपरी सतह तक अनुभव होता हे I ठीक इसी प्रकार चमडी पर दिए प्रेशर का प्रभाव आंतरिक अंगो तक पहुँचता हे जो रोग दूर करने में सहायक होता हे ।
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