
इस प्रकार धर्म तो पहले ही नष्ट हो चूका होता, Brave Soldierजोशीले होने के कारण मंगल पांडेपर इसका सबसे अधिक असर पड़ा, उन्होंने ये तय करलिया की 31 मई तक ठहरा नही जा सकता,
मंगल पांडे ने घूम घूम कर लोगों को समजाया पर लोगों ने उसे धेर्य रखने को कहा, शायद इन लोगो ने ठीक ही कहा था की एक जन्घा विद्रोह हो गया तो उसे दबा दिया जायेगा, इसलिए हमें निश्चित तारीख पर विद्रोह करना चाहिए,
पर मंगल पांडे नही माने, उन्होंने बंदूक निकली और गोली भरली और वो परेड के मेदान में पहोंच गये और चारों तरफ शेर की तरहां उछल उछल कर कहने लगे- भाइयों उठो आप पीछे क्यूँ रहते हो?, आओ और उठो में आपको धर्म की सोगन्ध दिलाता हूँ, आजादी पुकार रही हे की हम फोरन अपने धोकेबाज शत्रुओं पर हमला बोल दें रुकने का समय नही हे,
इस प्रकार से मंगल पांडे ने ब्रिटिश सम्राज्य के खिलाफ विद्रोह की घोषणा करदी, और वेह प्रथम विद्रोह हुआ ( 29 मार्च 1857 का दिन था)
वेह परेड के मेदान में लोगों को चिल्ला चिल्ला कर पुकारता रहा, पर सिपाहियों ने उनका साथ नही दिया, वे उन्हें देखते रहे पर कोई कुछ नही बोला, मंगल पांडे की खबर अंग्रेज अधिकारी तक पहोंची और सार्जेंट मेजर हुसन ने आकर मंगल पांडे को देखा, उसने खड़े तमाशा देखने वाले सिपाहियों से कहा मंगल पांडे को गिरफ्तार करलो,
पर सिपाही एक बार मंगल पांडे की तरफ देखते फिर अंग्रेज अफसर की तरफ देखते, उन्होंने अंग्रेज अफसर की बात मानने से न तो इंकार किया और ना ही माना, इस प्रकार जब काफी समय हो गया तो वो अंग्रेज अफसर समझ गया की वे उसकी बात मानने के लिए तयार नही हें, उधर मंगल पांडे बिलकुल तयार थे उनके हाथ में गोली भरी हुई बंदूक थी, वो रक्त देने और रक्त लेने के लिए तडप रहे थे, मंगल पांडे ने बंदूक सम्भाली और ... ठायं ठायं .......
मेजर हुसन की लाश वन्ही गिर पड़ी, जब ये कांड हो गया तो थोड़ी देर बाद एक अंग्रेज अफसर घटनास्थल पर आया, इस अफसर का नाम था लेफ्टिनेंट बाग़, अबकी बार जो ये अफसर आया था ये पैदल नही था, बल्कि घोड़े पर था अब मंगल पांडे ने गोली चलादी और अफसर और घोडा दोनों जमीन पर लुडकते नजर आये, लेकिन अंग्रेज बच गया और उसने अपनी बंदूक निकाली और मंगल पांडे की तरफ चलादी लेकिन मंगल पांडे बच गये, उन्होंने तलवार निकाल ली और साथ ही उस अफसर ने भी, मंगल ने एक झटके में ही उस अंग्रेज अफसर का खेल तमाम कर दिया,
मंगल पांडे ने 2 अंग्रेज अफसरों का काम तमाम कर दिया था, थोड़ी ही देर में एक गोरा और आया, वेह अभी मंगल पांडे पर टूट नही पाया था की एक दुसरे भारतीय सिपाही ने उस गोर के सिर पर अपनी बंदूक का कुंदा दे मारा, और वो वन्ही ढेर हो गया, और इस तरहां विद्रोह फेल गया और चरों तरफ से ये ही आवाज गूंजी मंगल को हाथ मत लगाना,
थोड़ी देर में एक और अंग्रेज अफसर वंहा आया और हुकुम दिया सिपाहियों देखते क्या हो इस बागी को पकड़लो बड़े अफसर को देख कर कुछ देर के लिए भारतीय सिपाहियों की फोज कुछ देर के लिए चुप खड़ी रही, पर किसी ने आवाज उठाई हम भरामण देवता का बाल भी बाका न होने देंगें, जब अफसर ने ये देखा तो वो वापस लोट गया इस बिच मंगल पांडे अपने साथियों से यह कह रहे थे की भाइयों अब घडा भर चूका हे, अब आप लोग विद्रोह का झंडा उठाइए पर सिपाही कुछ नही बोले,
इतनी देर में वो अंग्रेज अफसर दुसरे अंग्रेज सिपाहियों को लेकर वंहा आया, और मंगल पांडे समझ गये की अब में गिरफ्तार हो जाऊंगा क्योंकि भारतीय सिपाही पूरी तरहां से मेरा साथ नही दे रहे हें और उन्होंने अपने सिने में गोली मारली, पर उनकी जान नही गयी उन्हें बचा लिया गया,
मंगल पांडे पर मुकदमा चला और उन्हें फांसी की सजा मिली, पर कोई भी जल्लाद फांसी देने को तयार नही हुआ, सभी जल्लादों ने मना कर दिया, फिर कलकत्ता से जल्लाद को बुलाया गया और उसने मंगल पांडे को फँसे दी यदि उस जल्लाद को पता होता की वो किसे फांसी दे रहा हे तो वो भी मना करदेता ये तो निश्चित था, इसीलिए ये बात उससे छुपा कर रखी
इस प्रकार एक भारत माँ के लाल ने अपने प्राण डे दिए
जरा इसे भी देखें- भारत माँ का वीर पुत्र चन्द्र शेखर आजाद
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